चाणक्य की चित्र Quote 231: मछेरा जल में प्रवेश करके ही कुछ पाता है। Quote 231: राजा अपने बल-विक्रम से ... चाणक्य की चित्र Quote 231: मछेरा जल में प्रवेश करके ही कुछ पाता है।Quote 231: राजा अपने बल-विक्रम से धनी होता है। Quote 233: शत्रु भी उत्साही व्यक्ति के वश में हो जाता है।Quote 234: उत्साहहीन व्यक्ति का भाग्य भी अंधकारमय हो जाता है।Quote 235: पाप कर्म करने वाले को क्रोध और भय की चिंता नहीं होती। Quote 236: अविश्वसनीय लोगों पर विश्वास नहीं करना चाहिए।Quote 237: विष प्रत्येक स्तिथि में विष ही रहता है।Quote 238: कार्य करते समय शत्रु का साथ नहीं करना चाहिए।Quote 239: राजा की भलाई के लिए ही नीच का साथ करना चाहिए।Quote 240: संबंधों का आधार उद्देश्य की पूर्ति के लिए होता है।Quote 241: शत्रु का पुत्र यदि मित्र है तो उसकी रक्षा करनी चाहिए।Quote 242: शत्रु के छिद्र (दुर्बलता) पर ही प्रहार करना चाहिए।Quote 243: अपनी कमजोरी का प्रकाशन न करें।Quote 244: एक अंग का दोष भी पुरुष को दुखी करता है।Quote 245: शत्रु छिद्र (कमजोरी) पर ही प्रहार करते है।Quote 246: हाथ में आए शत्रु पर कभी विश्वास न करें।Quote 247: स्वजनों की बुरी आदतों का समाधान करना चाहिए।Quote 248: स्वजनों के अपमान से मनस्वी दुःखी होते है।Quote 249: सदाचार से शत्रु पर विजय प्राप्त की जा सकती है।Quote 250: विकृतिप्रिय लोग नीचता का व्यवहार करते है।
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