चा णक्य नीति -दर्पण Quote 121: ईर्ष्या करने वाले दो समान व्यक्तियों में विरोध पैदा कर देना चाहिए... चाणक्य नीति-दर्पण Quote 121: ईर्ष्या करने वाले दो समान व्यक्तियों में विरोध पैदा कर देना चाहिए। Quote 122: चतुरंगणी सेना (हाथी, घोड़े, रथ और पैदल) होने पर भी इन्द्रियों के वश में रहने वाला राजा नष्ट हो जाता है। Quote 123: जुए में लिप्त रहने वाले के कार्य पूरे नहीं होते है। Quote 124: शिकारपरस्त राजा धर्म और अर्थ दोनों को नष्ट कर लेता है। Quote 125: शराबी व्यक्ति का कोई कार्य पूरा नहीं होता है। Quote 126: कामी पुरुष कोई कार्य नहीं कर सकता। Quote 127: पूर्वाग्रह से ग्रसित दंड देना लोकनिंदा का कारण बनता है। Quote 128: धन का लालची श्रीविहीन हो जाता है। Quote 129: दण्डनीति के उचित प्रयोग से ही प्रजा की रक्षा संभव है। Quote 130: दंड से सम्पदा का आयोजन होता है। Quote 131: दण्डनीति के प्रभावी न होने से मंत्रीगण भी बेलगाम होकर अप्रभावी हो जाते है। Quote 132: दंड का भय न होने से लोग अकार्य करने लगते है। Quote 133: दण्डनीति से आत्मरक्षा की जा सकती है। Quote 134: आत्मरक्षा से सबकी रक्षा होती है। Quote 135: आत्मसम्मान के हनन से विकास का विनाश हो जाता है। Quote 136: निर्बल राजा की आज्ञा की भी अवहेलना कदापि नहीं करनी चाहिए। Quote 137: अग्नि में दुर्बलता नहीं होती। Quote 138: दंड का निर्धारण विवेकसम्मत होना चाहिए। Quote 139: दंडनीति से राजा की प्रवति अर्थात स्वभाव का पता चलता है। Quote 140: स्वभाव का मूल अर्थ लाभ होता है।
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