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'चाणक्य' की मन की बात

                                         'चा णक्य' की मन की बात Quote 191: अपने स्वामी के स्वभाव को जानकार ही आश्रित कर्म...

                                         'चाणक्य' की मन की बात







Quote 191: अपने स्वामी के स्वभाव को जानकार ही आश्रित कर्मचारी कार्य करते है।
Quote 192: गाय के स्वभाव को जानने वाला ही दूध का उपभोग करता है।
Quote 193: नीच व्यक्ति के सम्मुख रहस्य और अपने दिल की बात नहीं करनी चाहिए।
Quote 194: कोमल स्वभाव वाला व्यक्ति अपने आश्रितों से भी अपमानित होता है।
Quote 195: कठोर दंड से सभी लोग घृणा करते है।
Quote 196: राजा योग्य अर्थात उचित दंड देने वाला हो।
Quote 197: अगम्भीर विद्वान को संसार में सम्मान नहीं मिलता।
Quote 198: महाजन द्वारा अधिक धन संग्रह प्रजा को दुःख पहुँचाता है।
Quote 199: अत्यधिक भार उठाने वाला व्यक्ति जल्दी थक जाता है।
Quote 200: सभा के मध्य जो दूसरों के व्यक्तिगत दोष दिखाता है, वह स्वयं अपने दोष दिखाता है।
Quote 201: मुर्ख लोगों का क्रोध उन्हीं का नाश करता है।

Quote 202: सच्चे लोगो के लिए कुछ भी अप्राप्य नहीं।

Quote 203: केवल साहस से कार्य-सिद्धि संभव नहीं।

Quote 204: व्यसनी व्यक्ति लक्ष्य तक पहुँचने से पहले ही रुक जाता है।

Quote 205: असंशय की स्तिथि में विनाश से अच्छा तो संशय की स्तिथि में हुआ विनाश होता है।

Quote 206: दूसरे के धन पर भेदभाव रखना स्वार्थ है।

Quote 207: न्याय विपरीत पाया धन, धन नहीं है।

Quote 208: दान ही धर्म है।

Quote 209: अज्ञानी लोगों द्वारा प्रचारित बातों पर चलने से जीवन व्यर्थ हो जाता है।

Quote 210: न्याय ही धन है।

Quote 211: जो धर्म और अर्थ की वृद्धि नहीं करता वह  कामी है।

Quote 212: धर्मार्थ विरोधी कार्य करने वाला अशांति उत्पन्न करता है।

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