अनमोल विचार - चाणक्य | Quote 161: सिद्ध हुए कार्ये का प्रकाशन करना ही उचित कर्तव्य होन... अनमोल विचार - चाणक्य | Quote 161: सिद्ध हुए कार्ये का प्रकाशन करना ही उचित कर्तव्य होना चाहिए।Quote 162: संयोग से तो एक कीड़ा भी स्तिथि में परिवर्तन कर देता है।Quote 163: अज्ञानी व्यक्ति के कार्य को बहुत अधिक महत्तव नहीं देना चाहिए।Quote 164: ज्ञानियों के कार्य भी भाग्य तथा मनुष्यों के दोष से दूषित हो जाते है।Quote 165: भाग्य का शमन शांति से करना चाहिए।Quote 166: मनुष्य के कार्ये में आई विपति को कुशलता से ठीक करना चाहिए।Quote 167: मुर्ख लोग कार्यों के मध्य कठिनाई उत्पन्न होने पर दोष ही निकाला करते है।Quote 168: कार्य की सिद्धि के लिए उदारता नहीं बरतनी चाहिए।Quote 169: दूध पीने के लिए गाय का बछड़ा अपनी माँ के थनों पर प्रहार करता है।Quote 170: जिन्हें भाग्य पर विश्वास नहीं होता, उनके कार्य पुरे नहीं होते।Quote 180: प्रयत्न न करने से कार्य में विघ्न पड़ता है।Quote 181: जो अपने कर्तव्यों से बचते है, वे अपने आश्रितों परिजनों का भरण-पोषण नहीं कर पाते।Quote 182: जो अपने कर्म को नहीं पहचानता, वह अँधा है।Quote 183: प्रत्यक्ष और परोक्ष साधनों के अनुमान से कार्य की परीक्षा करें।Quote 184: निम्न अनुष्ठानों (भूमि, धन-व्यापार उधोग-धंधों) से आय के साधन भी बढ़ते है।Quote 185: विचार न करके कार्ये करने वाले व्यक्ति को लक्ष्मी त्याग देती है।Quote 186: परीक्षा किये बिना कार्य करने से कार्य विपत्ति में पड़ जाता है।Quote 187: परीक्षा करके विपत्ति को दूर करना चाहिए।Quote 188: अपनी शक्ति को जानकार ही कार्य करें।Quote 189: स्वजनों को तृप्त करके शेष भोजन से जो अपनी भूख शांत करता है, वाह अमृत भोजी कहलाता है।Quote 190: कायर व्यक्ति को कार्य की चिंता नहीं होती।
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