एक दि न का यह व्रत दे ता है अपार पुण्य शास्त्रों में कहा गया है कि श्रद्धापूर्वक ब्राह्मणों को भोजन करवाने से जाने-अनज...
एक दिन का यह व्रत देता है अपार पुण्य
शास्त्रों में कहा गया है कि श्रद्धापूर्वक ब्राह्मणों को भोजन करवाने से जाने-अनजाने हुए कई पापों से मुक्ति मिल जाती है। इसलिए विशेष अवसरों पर लोग ब्राह्मण भोज करवाते हैं। लेकिन एक व्रत ऐसा है जिसमें एक दिन के व्रत से एक नहीं बल्कि 88,000 हजार ब्राह्मणों को भोजन करवाने का पुण्य प्राप्त होता है। इस व्रत का नाम योगिनी एकादशी व्रत है।
योगिनी एकादशी व्रत कथाः
स्वर्ग में अलकापुरी नगरी है। यहां के राजा कुबेर हैं। ‘हेममाली’ नाम का एक यक्ष कुबेर की सेवा में था। इसका काम प्रतिदिन भगवान शिव की पूजा के लिए फूल लाकर देना था। एक बार कुबेर भगवान शिव की पूजा में बैठे थे लेकिन दोपहर बीत जाने के बाद भी हेममाली फूल लेकर नहीं आया। इससे कुबेर नाराज हुए और अपने सेवकों से पूछा कि हेममाली फूल लेकर क्यों नहीं आया है।
इस पर सेवकों ने कहा कि वह कामाशक्त होकर पत्नी के संग विहार कर रहा है। इससे कुबेर कुपित हो उठे और हेममाली को श्राप दिया कि तुम मृत्यु लोक में चले जाओ। शिव की अवहेलना करने के कारण तुम्हें कुष्ठ रोग हो जाए। हेममाली तुरंत स्वर्ग से पृथ्वी लोक पर आ गया।
कष्टपूर्ण जीवन व्यतीत करते हुए हेममाली एक दिन ऋषि मार्कण्डेय जी के पास पहुंचा। ऋषि ने हेममाली को योगिनी एकादशी का व्रत करने के लिए कहा। इस व्रत से हेममाली का कुष्ठ रोग समाप्त हो गया और पाप से मुक्त होकर स्वर्ग में स्थान प्राप्त कर लिया।
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