लालकिताब के अनुसार ग्रह कभी कभी अपने अनुसार अपना फ़ल देते है,और कभी कभी भाव का फ़ल देने लगते है,जिस प्रकार से मंगल पहले भाव का ग्रह फ़ल देता है...
लालकिताब के अनुसार ग्रह कभी कभी अपने अनुसार अपना फ़ल देते है,और कभी कभी भाव का फ़ल देने लगते है,जिस प्रकार से मंगल पहले भाव का ग्रह फ़ल देता है,तो राहु पहले भाव का भाव फ़ल देता है,उसी प्रकार से दूसरे भाव का राहु,तीसरे का शनि और भाव फ़ल के लिये शनि धन का प्रभाव देता है,चौथे भाव में ग्रह फ़ल चन्द्रमा और भाव का फ़ल मंगल शुक्र और केतु देना चालू करते है,पांचवें भाव में ग्रह फ़ल गुरु और सूर्य देते है,छठे में बुध और केतु ग्रह फ़ल और भाव फ़ल सूर्य मंगल गुरु और शनि,सातवें भाव में ग्रह का फ़ल शुक्र आठवें में मंगल ग्रह का फ़ल,नवें में ग्रह फ़ल गुरु और भाव का फ़ल शनि देता है,दसवें का ग्रह फ़ल शनि और भाव का फ़ल बुध केतु देता है,ग्यारहवें में गुरु और शनि ग्रह का फ़ल देते है,बारहवें भाव मे राहु ग्रह का फ़ल और बुध भाव का फ़ल देता है.जब ग्रह भाव का फ़ल देते है,तो सभी उपचार साध्य होते है,और जब वे अपना खुद का फ़ल देते है,तो सभी उपचार बेकार चले जाते है,जैसे राहु पहले घर में भाव का फ़ल देता है,वह सम्यक उपचार के द्वारा भला कर सकता है,लेकिन बारहवें भाव में वह अपना ग्रह का फ़ल देता है,और सभी उपचार व्यर्थ चले जाते है.चौथे भाव में चन्द्रमा ग्रह का फ़ल देता है,और किसी प्रकार से दुष्प्रभाव देने पर साध्य नही होता है,उसी प्रकार से शनि अगर दसवें भाव में अपनी कोई हरकत करता है,तो वह साध्य नही होगा,और अगर वह्तीसरे,छठे,और नवें भाव में परेशान करता है,तो साध्य हो सकता है,गुरु पांचवें और नवें भाव में हरकत करने पर साध्य नही होगा,लेकिन छठे,भाव में साध्य हो जायेगा,बुध और केतु छठे भाव में साध्य नही होंगे,लेकिन दसवें भाव में उपाय करने से साध्य हो जायेंगे,अगर उनका सम्यक उपचार किया जाता है तो.
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