आम का वैज्ञानिक नाम अंबज और फारसी में अम्ब कहा जाता है आम को हिंदी और बंगाली में आम, मराठी में आम्बा, गुजराती में आम्बी, सिन्धी और पंजाबी मे...
आम का वैज्ञानिक नाम अंबज और फारसी में अम्ब कहा जाता है आम को हिंदी और बंगाली में आम, मराठी में आम्बा, गुजराती में आम्बी, सिन्धी और पंजाबी में अम्ब, कन्नड़ में अम्भ और तमिल में मंगा नाम से जाना जाता है | आम एनाकार्डीऐसी परिवार का वृक्ष है |
आम के वृक्ष सदाबहार और छायादार होता है | इसके आकार अलग-अलग जातियों के आधार से इसकी उंचाई १० मीटर से लेकर ४५ मीटर तक हो सकती है | लगभग १० वर्षों बाद फल देना शुरू कर देता है फिर लम्बे समय तक फल देता है | कई स्थान पर तो इसके आयु लगभग १०० भी पर कर चूका होता है | आम मूल रूप से गर्म भागों का वृक्ष है | यह शुष्क तथा आर्द्र दोनों प्रकार के जलवायु में उगाया जा सकता है |
मूल रूप से आम के वृक्ष दो प्रकार के होते है जंगली और फलदार | जंगली आम के वृक्ष पर फल नहीं लगते | आम के फलदार वृक्षों को भी दो भागों में विभाजित किया जा सकता है | स्वतः और सप्रयास | सप्रयास लगाए गए आम के वृक्ष दो प्रकार के होते है कलमी और बीजू | १५ दिन के अन्दर अगर आम के गुठलियों को जून या जुलाई माह में मॉनसून आते ही बो दिया जाता है | ऐसे में वृक्ष को बड़ा होने और फल देने में ८ से १० साल लग जाता है | इस प्रकार से वृक्षों से प्राप्त होने वाले आम को बीजू आम कहते है |
सामान्य रूप से आम गर्मी के मौसम में फलता और पकता है, परन्तु मुंबई और दक्षिण भारत के आसपास के क्षेत्रों में सर्दी के मौसम में भी आम फलता है
आम के वृक्ष का औषधीय गुण :- इसके तने और शाखाओं की छाल से अनेक प्रकार की आयुर्वेदिक औषधियां तैयार की जाती है |
१- वृक्ष के ताजे छाल का रस पेचिश में लाभदायक होता है |
२- छाल के काढ़े से धोने पर पुराने से पुराना घाव भरने लगता है | यह घाव के दर्द को भी कम करता है |
३- आम के वृक्ष से बाबुल के सामान ही गोंद निकलता है और इसका उपयोग भी बाबुल के गोंद के सामान किया जाता है | बाजार में आम के गोंद के नाम से बिकता है |
४- आम के हरे व ताजे पत्ते को चबाने से मशुढ़े मजबूत होते है और दाँत के बहुत सारे रोग को जड़ से समाप्त कर देते है |
५-आम की ताज़ी पत्तियों को तोड़कर उन्हें साफ़ करके छाया में सुखा कर, इन्हें कूट-पीसकर बारीक़ चूर्ण बना ले | यह चूर्ण २-३ ग्राम सुबह-शाम सेवन करने से मधुमेह के रोगियों के लिए रामबाण औषधि जैसे निश्चित रूप से लाभ होता है |
६- आम के छिलके को ताजे पानी में पीसकर पिलाने से हैजे के रोगी को विशेष लाभ होता है |
७- कच्चे आम के छिलकों को साफ़ करके सुखा कर फिर कूट-पीसकर महीन चूर्ण बना ले | इस चूर्ण को शहद के साथ सुबह-शाम सेवन करने से खुनी पेचिस ठीक हो जाती है |
८- पका हुआ आम का फल ह्रदय रोगी के लिए विशेष लाभ दायक होता है | इसका सेवन शरीर स्वास्थ्य,बलशाली,पाचनशक्ति बढाने और शुक्राणु सम्बंधित दोषों को दूर करने की क्षमता होती है |
९- गर्मियों के मौसम में पका हुआ फल का सेवन से प्यास और थकान का अनुभव नहीं होता है | आम को लम्बी आयु प्रदान करने वाला फल कहा गया है |
१०- आम के पके हुए फल में ग्लूकोज, कार्बोहाईड्रेट, सुक्रोस, फ़्रकट्रोस, माल्टोस,विटामिन A , लंगड़ा में विटामिन C आदि प्रचुर मात्रा में होते है |
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