Page Nav

HIDE

Grid

GRID_STYLE

Classic Header

{fbt_classic_header}

Breaking News:

latest

Breaking News

latest

श्रीराधा कृपाकटाक्ष स्त्रोत्र

                  """'"श्रीराधा कृपाकटाक्ष स्त्रोत्र""'''' मुनीन्द वृन्दवन्दिते, ...

                  """'"श्रीराधा कृपाकटाक्ष स्त्रोत्र""''''









मुनीन्द वृन्दवन्दिते, त्रिलोक शोकहारिणी, प्रसन्न वक्त्र पंकजे ,निकंजभू विलासिनी। व्रजेन्द भानुनन्दिनी , व्रजेन्द सूनुसंगते, कदा करिष्यसीह मां ,कृपा-कटाक्ष-भाजनम्॥­१॥ अशोकवृक्ष वल्लरी, वितान मण्डपस्थिते, प्र­वालज्वालपल्लव ,प्रभारूणांघ्रि कोमले। वरा भयस्फुरत्करे , प्रभूत सम्पदालये, कदा करिष्यसीह मां, कृपा-कटाक्ष-भाजनम्॥२­॥ अनंग रंग मंगल ,प्रसंग भंगुरभ्रुवां, सुविभ्रम ससम्भ्रम ,दृगन्त बाण पातनैः। निरन्तरं वशीकृत, प्रतीत नन्दनन्दने, कदा करिष्यसीह मां कृपा-कटाक्ष भाजनम्॥३॥ तड़ित् सुवर्ण चम्पक , प्रदीप्त गौर विगहे, मुख प्रभा परास्त-कोटि, शारदेन्दु मण्ङले। विचित्र चित्र-संचरच् च­कोर शाव लोचने, कदा करिष्यसीह मां कृपा-कटाक्ष भाजनम्॥४॥ मदोन्मदाति यौवने ,प्रमोद मान मणिस्ते, प्रियानुराग रंजिते, कलाविलास पणिडते। अनन्य धन्य कुंजराज ,कामकेलि कोविदे , कदा करिष्यसीह मां कृपा-कटाक्ष-भाजनम्॥५­॥ अशेष हाव भाव धीर ,हीर हार भूषिते, प्रभूत शातकुम्भ कुम्भ, कुमिभ कुम्भ सुस्तनी। प्रशस्त मंदहास्य चूण ,पू­ण सौख्य सागरे, कदा करिष्यसीह मां कृपा-कटाक्ष भाजनम्॥६॥ मृणाल बाल वल्लरी ,तरंग रंगदोलते, लता गलास्य लोल नील ,लोचनाव लोकने। ललल्लुल मिलन्मनोज्ञ, मुग्ध मोहनाश्रये, कदा करिष्यसीह मां कृपा-कटाक्ष भाजनम्॥७॥ सुवर्ण मालि कांचिते, त्रिरेख कम्बु कण्ठगे, त्रिसुत्र मंगली गुण , त्रिरत्न दीप्ति दीधिअति­। सलोल नील कुन्तले, प्रसून गुच्छ गुम्फिते,­ कदा करिष्यसीहमां कृपा-कटाक्ष भाजनम्॥८॥ नितम्ब बिम्ब लम्बमान, पुष्प मेखला गुण, प्रशस्त रत्नकिंकणी, कलाप मध्य मंजुले। करीन्द्र शुण्ड दण्डिका,­ वरोहसोभगोरुके, कदा करिष्यसीह मां कृपा-कटाक्ष भाजनम्॥९॥ अनेक मन्त्र नाद मंजु, नूपुरा रवस्खलत्, समाज राज हंस, वंश नि क्वणातिग। विलोल हेम वल्लरी, विड मिब चारू चंकमे, कदा करिष्यसीह मां कृपा-कटाक्ष-भाजनम्॥१­०॥ अनन्त कोटि विष्णुलोक , नम् पदम जाचिते, हिमादिजा पुलोमजा-विरंचिजा वर प्रदे। अपार सिदि वृदि दिग्ध ,सत्पदां गुली नखे, कदा करिष्यसीह मां कृपा -कटाक्ष भाजनम्॥११॥ मखेश्वरी क्रियेश्वरी, स्वधेश्वरी सुरेश्वरी, त्रिवेद भारतीश्वरी , प्रमाणशासनेश्वरी। रमेश्वरी क्षमेश्वरी प्रमोद काननेश्वरी, ब्रजेश्वरी ब्रजाधिपे श्रीराधिके नमोस्तुते॥१२॥ इतीद मत भुतस्तवं ,निशम्य भानु नंदिनी, करोतु संततं जनं ,कृपाकटाक्ष भाजनम्। भवेत् तदैव संचित, त्रिरूप कमनाशनं­, लभेत्ताद ब्रजेन्द्र सू­नु, मण्डल प्रवेशनम॥१३॥

No comments