आ र्थिक मामले में चाणक्य ... Quote 301: धनवान व्यक्ति का सारा संसार सम्मान करता है। Quote 302: धनविहीन म... आर्थिक मामले में चाणक्य ... Quote 301: धनवान व्यक्ति का सारा संसार सम्मान करता है।Quote 302: धनविहीन महान राजा का संसार सम्मान नहीं करता।Quote 303: दरिद्र मनुष्य का जीवन मृत्यु के समान है।Quote 304: धनवान असुंदर व्यक्ति भी सुरुपवान कहलाता है।Quote 305: याचक कंजूस-से-कंजूस धनवान को भी नहीं छोड़ते।Quote 306: उपार्जित धन का त्याग ही उसकी रक्षा है। अर्थात उपार्जित धन को लोक हित के कार्यों में खर्च करके सुरक्षित कर लेना चाहिए।Quote 307: अकुलीन धनिक भी कुलीन से श्रेष्ठ है।Quote 308: नीच व्यक्ति को अपमान का भय नहीं होता।Quote 309: कुशल लोगों को रोजगार का भय नहीं होता।Quote 310: जितेन्द्रिय व्यक्ति को विषय-वासनाओं का भय नहीं सताता।Quote 311: कर्म करने वाले को मृत्यु का भय नहीं सताता।Quote 312: साधू पुरुष किसी के भी धन को अपना ही मानते है।Quote 313: दूसरे के धन अथवा वैभव का लालच नहीं करना चाहिए।Quote 314: मृत व्यक्ति का औषधि से क्या प्रयोजन।Quote 315: दूसरे के धन का लोभ नाश का कारण होता है।Quote 316: दूसरे का धन किंचिद् भी नहीं चुराना चाहिए।Quote 317: दूसरों के धन का अपहरण करने से स्वयं अपने ही धन का नाश हो जाता है।Quote 318: चोर कर्म से बढ़कर कष्टदायक मृत्यु पाश भी नहीं है।Quote 319: जीवन के लिए सत्तू (जौ का भुना हुआ आटा) भी काफी होता है। Quote 320: हर पल अपने प्रभुत्व को बनाए रखना ही कर्त्यव है।Quote 321: नीच की विधाएँ पाप कर्मों का ही आयोजन करती है।Quote 322: निकम्मे अथवा आलसी व्यक्ति को भूख का कष्ट झेलना पड़ता है।Quote 323: भूखा व्यक्ति अखाद्य को भी खा जाता है।Quote 324: इंद्रियों के अत्यधिक प्रयोग से बुढ़ापा आना शुरू हो जाता है।Quote 325: संपन्न और दयालु स्वामी की ही नौकरी करनी चाहिए।Quote 326: लोभी और कंजूस स्वामी से कुछ पाना जुगनू से आग प्राप्त करने के समान है। Quote 327: विशेषज्ञ व्यक्ति को स्वामी का आश्रय ग्रहण करना चाहिए।Quote 328: उचित समय पर सम्भोग (sex) सुख न मिलने से स्त्री बूढी हो जाती है।Quote 329: नीच और उत्तम कुल के बीच में विवाह संबंध नहीं होने चाहिए।Quote 330: न जाने योग्य जगहों पर जाने से आयु, यश और पुण्य क्षीण हो जाते है।Quote 331: अधिक मैथुन (सेक्स) से पुरुष बूढ़ा हो जाता है। Quote 332: अहंकार से बड़ा मनुष्य का कोई शत्रु नहीं।Quote 333: सभा के मध्य शत्रु पर क्रोध न करें।
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