च मकीले तारे रात्रि में आकाश की ओर ध्यानपूर्वक देखने से हमें कुछ तारे बहुत अधिक चमकीले दिखाई देते हैं तो द...
चमकीले तारे
रात्रि में आकाश की ओर ध्यानपूर्वक देखने से हमें कुछ तारे बहुत अधिक चमकीले दिखाई देते हैं तो दुसरे तारे कम चमकीले दिखाई पड़ते हैं l यदि इन तारों को शकिशाली दूरबीन की सहायता से देखा जाए तो केवल इनकी चमक में ही अंतर दिखाई नहीं देगा बल्कि इनके रंग में भी अंतर दिखाई देगा l क्या आप बता सकते है कि कुछ तारे अधिक चमकीले क्यों दिखाई देते हैं ?
तारों की चमक और रंग उनकी सतह के तापमान पर निर्भर करता है l किसी तारे की सतह का तापमान जितना अधिक होगा उतनी ही उसकी चमक अधिक होगी l तारों की चमक और रंग को इस प्रकार समझा जा सकता है l यदि हम लोहे की एक ठंडी गेंद लें तो जब यह ठंडी होती है तो इसका रंग कालापन लिए होता है l जब हम इसको गर्म करते है तो इसका रंग लाल हो जाता है l यदि उसको और अधिक गर्म किया जाए तो इसका रंग पिला होने लगता है l जैसे-जैसे तापमान बढ़ता है, गेंद का रंग क्रमशः सफेद और नीला होता जाता है l इससे यह निष्कर्ष निकलता है कि वस्तुओं का रंग उनके तापमान पर निर्भर करता है l जैसे-जैसे हम वस्तुओं को गर्म करते हैं उनका रंग लाल, पिला, हरा, सफेद और नीला होता जाता है l रंग और तापमान के इस सम्बन्ध के आधार पर ही तारों की चमक निश्चित की जाती है l जिन तारों का रंग लाल या नारंगी होता है वे पीले और हरे रंग वाले तारों की अपेक्षा ठन्डे होते हैं l सफेद रंग वाले तारे पीले और हरे रंग वाले तारों की अपेक्षा गर्म होते हैं और नील रंग वाले तारों की सतह का तापमान सबसे अधिक होता है l
नील रंग के तारे अधिक गर्म और चमकीले होते हैं l उनकी सतह का तापमान 27750 डिग्री सेन्टीग्रेड या इससे भी अधिक हो सकता है l सूर्य एक पीले रंग का तारा है इसलिए इसकी चमक और तापमान नील तारें की तुलना में बहुत कम है l इसकी सतह का तापमान लगभग 6000 डिग्री सेन्टीग्रेड है l जो तारे लाल दिखाई देते हैं वे कम चमकीले और ठन्डे होते हैं l इस की सतह का तापमान 1650 डिग्री सेन्टीग्रेड या इससे भी कम होता है l इन सब बातोँ से यह स्पष्ट हो जाता है कि तारों की चमक उनकी सतह के तापमान से सम्बंधित है l कुछ अधिक तापमान वाले तारे, जो धरती से अधिक दुरी पर हैं, उनकी चमक कम दिखटी है क्योंकि दुरी के कारण चमक में अंतर आ जाता है l दुरी कम होने से कम तापमान वाले तारे पृथ्वी से अधिक चमकीले दिखाई देते हैं l .............
तारों की चमक और रंग उनकी सतह के तापमान पर निर्भर करता है l किसी तारे की सतह का तापमान जितना अधिक होगा उतनी ही उसकी चमक अधिक होगी l तारों की चमक और रंग को इस प्रकार समझा जा सकता है l यदि हम लोहे की एक ठंडी गेंद लें तो जब यह ठंडी होती है तो इसका रंग कालापन लिए होता है l जब हम इसको गर्म करते है तो इसका रंग लाल हो जाता है l यदि उसको और अधिक गर्म किया जाए तो इसका रंग पिला होने लगता है l जैसे-जैसे तापमान बढ़ता है, गेंद का रंग क्रमशः सफेद और नीला होता जाता है l इससे यह निष्कर्ष निकलता है कि वस्तुओं का रंग उनके तापमान पर निर्भर करता है l जैसे-जैसे हम वस्तुओं को गर्म करते हैं उनका रंग लाल, पिला, हरा, सफेद और नीला होता जाता है l रंग और तापमान के इस सम्बन्ध के आधार पर ही तारों की चमक निश्चित की जाती है l जिन तारों का रंग लाल या नारंगी होता है वे पीले और हरे रंग वाले तारों की अपेक्षा ठन्डे होते हैं l सफेद रंग वाले तारे पीले और हरे रंग वाले तारों की अपेक्षा गर्म होते हैं और नील रंग वाले तारों की सतह का तापमान सबसे अधिक होता है l
नील रंग के तारे अधिक गर्म और चमकीले होते हैं l उनकी सतह का तापमान 27750 डिग्री सेन्टीग्रेड या इससे भी अधिक हो सकता है l सूर्य एक पीले रंग का तारा है इसलिए इसकी चमक और तापमान नील तारें की तुलना में बहुत कम है l इसकी सतह का तापमान लगभग 6000 डिग्री सेन्टीग्रेड है l जो तारे लाल दिखाई देते हैं वे कम चमकीले और ठन्डे होते हैं l इस की सतह का तापमान 1650 डिग्री सेन्टीग्रेड या इससे भी कम होता है l इन सब बातोँ से यह स्पष्ट हो जाता है कि तारों की चमक उनकी सतह के तापमान से सम्बंधित है l कुछ अधिक तापमान वाले तारे, जो धरती से अधिक दुरी पर हैं, उनकी चमक कम दिखटी है क्योंकि दुरी के कारण चमक में अंतर आ जाता है l दुरी कम होने से कम तापमान वाले तारे पृथ्वी से अधिक चमकीले दिखाई देते हैं l .............
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