सबसे ऊँचा शिव मंदिर भारत का सबसे ऊँचा (करीब 252 फुट) शिव मंदिर बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के मध...
सबसे ऊँचा शिव मंदिर
भारत का सबसे ऊँचा (करीब
252 फुट) शिव मंदिर बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के मध्य में स्थित श्री
विश्वनाथ मंदिर है। मंदिर का शिखर दक्षिण भारत के तंजावुर स्थित वृहदेश्वर
मंदिर की ऊँचाई से ज्यादा है। इसमें मुख्य शिखर के अलावा दो अन्य शिखर भी
हैं। मंदिर की अंदर की दीवारों पर श्रीमद्भगवतगीता के श्लोक अंकित हैं।
इसके
अलावा दीवारों पर संतों के अनमोल वचन भी संगमरमर पर उकेरे गए हैं। मंदिर
के दोनों तरफ खूबसूरत मूर्तियाँ बनी हैं। मंदिर तथा आस-पास का परिसर इतना
सुंदर है कि फिल्म बनाने वाले भी यहाँ आकर्षित होते हैं। हरे-भरे आमों के
पेड़ मंदिर की शोभा में चार चाँद लगाते हैं। कई फिल्मों की यहाँ पर शूटिंग
भी हो चुकी है। मंदिर की साफ-सफाई इतनी अच्छी है कि कहीं पर एक तिनका नजर
नहीं आता। इस मंदिर को अगर हिंदू विश्वविद्यालय का आध्यात्मिक केंद्र कहा जाए तो गलत नहीं होगा।
यहाँ
बाबा भोलेनाथ की आरती में इलेक्ट्रॉनिक घंटा-घड़ियाल लयबद्ध ताल में
गूँजते हैं। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के संस्थापक पंडित मदनमोहन मालवीय
की कल्पना की परिणति है यह भव्य और अलौकिक सौंदर्य से भरा मंदिर। मंदिर के
चढ़ावे से विश्वविद्यालय के 22 छात्रों को 'अन्न सुख' भी मिलता है।
मदनमोहन
मालवीय की मंशा के अनुरूप इसे आकार देने का श्रेय उद्योगपति युगल किशोर
बिरला को जाता है। मंदिर का शिलान्यास 11 मार्च 1931 को हुआ और 17 फरवरी
1958 को महाशिवरात्रि पर मंदिर के गर्भगृह में भगवान विश्वनाथ प्रतिष्ठित
हुए। जीवन के अंतिम समय में बिस्तर पर पड़े मदनमोहन मालवीय की आँखें नम देख
जाने-माने उद्योगपति युगल किशोर बिरला ने मंदिर के बारे में पूछा तो वे
मौन रहे।

वैसे तो मंदिर में बाबा का दर्शन करने वाले हजारों श्रद्धालु प्रतिदिन आते हैं लेकिन सावन के महीने में भक्तों की संख्या कई गुना बढ़ जाती है। मंदिर में लगी देवी-देवताओं की भव्य मूर्तियों का दर्शन कर लोग जहाँ अपने को कृतार्थ करते हैं वहीं मंदिर के आस-पास आम कुंजों की हरियाली एवं मोरों की 'पीकों' की आवाज से भक्त भावविभोर हो जाते हैं।
पूरे सावन माह और माह के प्रत्येक सोमवार को देश-विदेश से श्रद्धालु यहाँ भक्तिभाव से जुटते हैं। मंदिर के मानद व्यवस्थापक ज्योतिषाचार्य पंडित चंद्रमौलि उपाध्याय के अनुसार इस भव्य मंदिर के शिखर की सर्वोच्चता के साथ ही यहाँ का आध्यात्मिक, धार्मिक, पर्यावरणीय माहौल दुनिया भर के आस्थावान श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है। खासकर युवा पीढ़ी के लिए यह मंदिर विशेष आकर्षण का केंद्र बन चुका है, जहाँ उनके जीवन में सात्विक मूल्यों का बीजारोपण होता है।
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