मन की मुरादे पुरी कर मां , दर्शन करने को मे तो आउगी ......... मन की मुरादे पुरी कर मां , दर्शन करने को मे तो आउगी ......... तेरा दीदार होगा ...
मन की मुरादे पुरी कर मां , दर्शन करने को मे तो आउगी .........
मन की मुरादे पुरी कर मां , दर्शन करने को मे तो आउगी .........
तेरा दीदार होगा , मेरा उद्धार होगा हलवे का भोग में लगाउगीं ।
तु ही दाती दान दे दे मुझको अपना जानकर - 2
भरदे मेरी झोली खाली , दाग लगे ना तेरी शान पर
सवा रूपया और नारियल में तेरी भेंट चढाउगी दर्शन करने को में आउगीं
तेरा दीदार होगा मेरा उद्धार होगा हलवे का भोग में लगाउंगी ।
छोटी छोटी कन्याओ को भोग लगाउ भक्ति भाव से - 2 ,
तेरा जगराता कराउ में तो मां बडे चाव से ।
लाल ध्वजा ले , करके माता , तेरे भवन पे लहराउगीं ।
मन की मुरादे पुरी कर दर्शन करने आउगी ..........
महिमा तेरी बडी निराली पार न कोई पाया है ।
मैंने सुना है ब्रम्हा ,विष्णु , शिव ने तेरा गुण गाया है ।
मेरी ओकात क्या है , तेरी मां बात क्या है ।
कैसे तुझको भुलाउंगी , दर्शन करने को आउगीं
तेरा दीदार होगा ...................
लाल चौला , लाल चुनरी , लाल ही तेरे लाले है तेरी जिस पर हो दया वो तो मालामाल है
श्यामसुन्दर और लक्खा बालक है तेरे उनको भी संग में लाउगी ।
दर्शन करने को आउगीं
तेरा दीदार होगा ........................दर्शन करने को में तो आउगीं ......
आपकी ये भेट भी अच्छी है मित्र परन्तु मुझे ये वाली भेट चाहिए
"माँ मुरादे पूरी करदे हलवा बाटुगी"
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