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चाणक्य के 15 अमर वाक्य

                          चाणक्य के 15 अमर वाक्य Quote 21: शत्रु के गुण को भी ग्रहण करना चाहिए। Quote 22: अपने स्थान पर बने रहने से ही मनु...

                          चाणक्य के 15 अमर वाक्य



Quote 21: शत्रु के गुण को भी ग्रहण करना चाहिए।
Quote 22: अपने स्थान पर बने रहने से ही मनुष्य पूजा जाता है।
Quote 23: सभी प्रकार के भय से बदनामी का भय सबसे बड़ा होता है।
Quote 24: किसी लक्ष्य की सिद्धि में कभी शत्रु का साथ न करें।
Quote 25: आलसी का न वर्तमान होता है, न भविष्य।
Quote 26: सोने के साथ मिलकर चांदी भी सोने जैसी दिखाई पड़ती है अर्थात सत्संग का प्रभाव मनुष्य पर अवश्य पड़ता है।
Quote 27: ढेकुली नीचे सिर झुकाकर ही कुँए से जल निकालती है।  अर्थात कपटी या पापी व्यक्ति सदैव मधुर वचन बोलकर अपना काम निकालते है। 
Quote 28: सत्य भी यदि अनुचित है तो उसे नहीं कहना चाहिए।
 
Quote 29: समय का ध्यान नहीं रखने वाला व्यक्ति अपने जीवन में निर्विघ्न नहीं रहता।
Quote 30: जो जिस कार्ये में कुशल हो उसे उसी कार्ये में लगना  चाहिए।
Quote 31: दोषहीन कार्यों का होना दुर्लभ होता है।
Quote 32: किसी भी कार्य में पल भर का भी विलम्ब न करें।
Quote 33: चंचल चित वाले के कार्य कभी समाप्त नहीं होते।
Quote 34: पहले निश्चय करिएँ, फिर कार्य आरम्भ करें।
Quote 35: भाग्य पुरुषार्थी के पीछे चलता है।
Quote 36: अर्थ, धर्म और कर्म का आधार है।
Quote 37: शत्रु दण्डनीति के ही योग्य है। 
Quote 38: कठोर वाणी अग्निदाह से भी अधिक तीव्र दुःख पहुंचाती है।
Quote 39: व्यसनी व्यक्ति कभी सफल नहीं हो सकता।
Quote 40: शक्तिशाली शत्रु को कमजोर समझकर ही उस पर आक्रमण करे

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