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इन तरीकों पर चल कर पा सकते है आप सफलता

1.  सफ़लता की बात सोचें, असफ़लता की बात न सोचें।  नौकरी में, घर में, असफ़लता की जगह सफ़लता के बारे में सोचें।  जब आपके सामने कोई कठीन परिस्थिति ...



1.  सफ़लता की बात सोचें, असफ़लता की बात न सोचें।  नौकरी में, घर में, असफ़लता की जगह सफ़लता के बारे में सोचें।  जब आपके सामने कोई कठीन परिस्थिति आए, तो सोचें "मै जीत जाऊँगा," यह न सोचें "शायद मै हार जाऊँगा।"  जब आप किसी से प्रतियोगिता करें, तो सोचें, "मै उसके जितना योग्य नहीं हू।"  जब अवसर नज़र आए, तो सोचें "मै यह कर सकता हू," यह न सोचें "मै इसे नही कर सकता।"  अपनी चिंतन प्रक्रिया पर इस विचार को हावी हो जाने दें, "मै सफ़ल होकर दिखाऊँगा।"  सफ़लता के बारे में सोचने से आपका दिमाग़ ऐसी योजना बना लेता है जिससे आपको सफ़लता मिलती है।  असफ़लता के बारे में चिंतन करने से आपका दिमाग़ ऐसे विचार सोचता है, जिन से आपको असफ़लता हाथ लगती है।

2.  अपने आपको बार-बार याद दिलाए कि आप जितना समझते है, आप उससे कहीं बेहतर है।  सफ़ल लोग सुपरमैन नही होते।  सफ़लता के लिए सुपर-इंटेलेक्ट का होना जरूरी नही है।  न ही सफ़लता के लिए किसी जादुई शक्ति या रहस्य मयी तत्व की आवश्यकता होती है।  और सफलता का भाग्य से भी कोई संबंध नहीं होता।  सफ़ल लोग साधारण लोग ही होते है, पर ऐसे लोग होते है जिन्हें अपने आप पर विशवास है, अपनी क्षमताओं पर विशवास है और जो मानते है कि वे सफल हो सकते है।  कभी भी, हाँ, कभी भी, खुद को सस्ते में न बेचें।

3.  बड़ी सोंच में विशवास करें।  आपकी सफ़लता का आकार कितना बड़ा होगा, यह आपके विशवास के आकार से तय होगा।  अगर आपके लक्ष्य छोटे होंगे, तो आपकी उपलब्धिया भी छोटी होंगी।  अगर आपके लक्ष्य बड़े होंगे, तो आपकी सफलता भी बड़ी होगी।  एक बात कभी न भूले! बड़े विचार और बड़ी योजनाएं अक्सर छोटे विचारों और छोटी योजनाओं से आसान होते है।

जनरल इलेक्ट्रिक कंपनी के चेयरमैन राल्फ जे. कॉर्डिनेर ने लीडरशिप कॉन्फ्रेंस में कहा था, "… जो भी लीडर बनना चाहता है, उसे स्वयं के स्वयं की कंपनी के विकास की योजना बना लेनी चाहिए और इसका दॄढ़ निष्चय कर लेना चाहिए।  कोई भी किसी दूसरे व्यक्ति के विकास का आदेश नहीं दे सकता, कोई व्यक्ति दौड़ में आगे रहेगा या पीछे रह जाएगा यह इस बात पर निर्भर करता है कि उसकी तैयारी कैसी है।  यह ऐसी चीज़ है जिस में समय लगता है, मेहनत लगती है और इस में त्याग की आवश्यकता होती है।  आपके लिए यह कोई दूसरा नहीं कर सकता।"

मिस्टर सार्डिनेर की सलाह में दम है और यह व्यावहारिक है।  इस पर चलें।  जो लोग बिज़नेस मैनेजमेंट, सेल्स लाइन, इंजीनिरिंग, धार्मिक संस्थाओं, लेखन, अभिनय और दूसरे क्षेत्रों में चोटी पर पहुँचते है वे निष्ठा और लगन के साथ आत्म-विकास की योजना पर चलकर ही वहाँ पहुँच पाए है।

किसी भी प्रशिक्षण कार्यक्रम में - और यही इस वेबसाइट का लक्ष्य भी है - तिने बातें होनी चाहिए।  इसमें सामग्री होनी चाहिए - यानी क्या किया जाए।  दूसरी बात यह कि इसमें तरीक़ा होना चाहिए - यानी कैसे किया जाए।  और तीसरी बात यह की इसे एसिड टेस्ट में खरा उतरना चाहिए - यानी कि इससे परिणाम मिलना चाहिए।      

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