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महिलाओं के लिए भी महत्वपूर्ण है फाइनेंशियल प्लानिंग

महिलाओं के लिए भी महत्वपूर्ण है फाइनेंशियल प्लानिंग वर्तमान समय में भारतीय शहरों में दोहरी आय अर्जित करने वाले परिवारों की संख्या दिनोंदिन ब...



महिलाओं के लिए भी महत्वपूर्ण है फाइनेंशियल प्लानिंग
वर्तमान समय में भारतीय शहरों में दोहरी आय अर्जित करने वाले परिवारों की संख्या दिनोंदिन बढ़ रही है। महिलाएं भी दूसरे कमाऊ शख्स के रूप में भरपूर योगदान दे रही हैं। मौजूदा समय में, अकेली कामकाजी शहरी महिला स्वतंत्र रूप से अपनी जिंदगी की वित्तीय चुनौतियों का सामना करने के लिये तैयार है।
हालांकि, महिलाओं को मिल रहे सशक्त सामाजिक-आर्थिक लाभ के बावजूद, वित्तीय मामलों में कम भागीदारी और फाइनेंशियल प्रोडक्ट की कम जानकारी के कारण अधिकतर महिलाएं अपने निजी वित्त को संभालने के लिये पूरी तरह से तैयार नहीं हैं।
वैल्यूनोट्स के सहयोग में एचडीएफसी लाइफ द्वारा किये गये सर्वेक्षण में खुलासा हुआ है कि भारतीय शहरी महिलाएं जिंदगी के विभिन्न मामलों (संभावित एवं असंभावित) तथा वित्तीय उत्पादों के विषय में कम जानकारी रखती हैं।
उत्पाद की जानकारी एवं मामले के प्रति जागरूकता के बीच अंतर स्पष्ट नजर आता है, जो दर्शाता है कि जिन उत्पादों में वह निवेश करती है, वह उनकी वित्तीय जरूरतों के अनुकूल नहीं हैं।
हालांकि, महिलाओं में व्यवस्थित ढंग से बचत की भावना प्राकृतिक रूप से होती है और निवेश के प्रति अनुशासित दृष्टिकोण उन्हें इस कार्य में सक्षम बनाता है। अध्ययन से पता चला है कि अधिकांश महिलाएं जीवन के शुरूआती दौर में निवेश शुरू नहीं करती है।
संपत्ति का निर्माण करने और आत्मनिर्भर बनने के उद्देश्य को पूरा करने के लिये उचित योजना तैयार करना जरूरी है। महिलाओं को खुद को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए फाइनेंशियल प्लानिंग का सहारा लेना चाहिए। फाइनेंशियल प्लानिंग के प्रमुख चरण निम्रलिखित हैं:

पहला चरण उद्देश्य का निर्धारण
महिलाओं को वास्तविकता से जुड़े वित्तीय उद्देश्य (लक्ष्य) तय करने चाहिए। लक्ष्यों में घर खरीदना, सेवानिवृत्त होने के बाद आय के लिये साधन तैयार करना, कारोबार शुरू करना, विदेश यात्रा, कार खरीदना, बच्चों की शादी और शिक्षा आदि के लिए पूंजी एकत्रित करना इत्यादि कुछ भी शामिल हो सकता है।
धन राशि के निर्धारण एवं उद्देश्य को पूरा करने के लिये समय-सीमा का निर्धारण करना दूसरा महत्वपूर्ण कारक है, क्योंकि यह आपके निवेश उपकरण के विकल्प को निर्धारित करता है और उद्देश्य की कार्यसिद्धि को प्रभावित करता है।

दूसरा चरण योजना तैयार करना
वित्तीय योजना आय और खर्चों एवं भविष्य के खर्च एवं आमदनी की योजना के साथ शुरू होती है। इससे आपको पता चलता है कि वर्तमान एवं भविष्य के वित्तीय लक्ष्यों को पूरा करने के लिये आपको कितनी राशि की आवश्यकता पड़ेगी। समय-सीमा, जोखिम उठाने की क्षमता और निवेश के उपलब्ध प्रकार जैसे विभिन्न कारकों पर भी विचार किया जा सकता है।
आकस्मिक खर्चों की व्यवस्था करना भी अनिवार्य है ताकि बीमारी, जीवनसाथी की मृत्यु अथवा नौकरी खोने जैसी अप्रत्याशित परिस्थितियों में भी बचत को जारी रखा जा सके। चूंकि, महिलाओं की राह में बाधा आने की संभावना अधिक रहती है, इसलिए उन्हें कामकाजी होने के दौरान बचत के अवसरों पर ध्यान देने की जरूरत है।
वित्तीय परिसंपत्तियों का अनुचित डाइवर्सिफिकेशन पोर्टफोलियो से पर्याप्त आय उत्पन्न करने के सामथ्र्य को सीमित कर सकता है और लंबी अवधि में मुद्रास्फीति की वजह से उसका मूल्य कम हो जाता है। महिलाओं की जीवन प्रत्याशा अधिक होने के कारण उनके लिए लंबी अवधि की योजनाएं ज्यादा महत्वपूर्ण हैं।
लंबी अवधि के दौरान, बांड्स के चक्कर में इक्विटी को नजरअंदाज करने का मतलब है कि आपका पोर्टफोलियो सही मायनों में डाइवर्सिफायड नहीं है और महंगाई से उत्पन्न चुनौतियों का मुकाबला करने में सक्षम नहीं है। वित्तीय योजना के लिये सही प्रारूप तैयार करने में सर्टिफायड फाइनेंशियल प्लानर से विचार-विमर्श करना उचित रहेगा।

तीसरा चरण निवेश की शुरुआत
अनुशासित निवेश वित्तीय योजना की सफलता की अहम कुंजी है। वर्तमान में अधिकतर निवेश ऑनलाइन किए जा सकते हैं। हालांकि, निवेश से पहले प्रत्येक निवेश विकल्प की प्रकृति एवं संबंधित जोखिम के विषय में पढऩा और समझना बेहद जरूरी है।

चौथा चरण योजना की समीक्षा
एक बार निवेश शुरू हो जाने के बाद, फिर उसे जारी रखने के लिए बढ़ती आय और खर्च, नई परिसंपत्ति की प्राप्ति अथवा जिम्मेदारियों में इजाफा या बदलती बाजार परिस्थितियों के अनुसार समय-समय पर निवेश पोर्टफोलियो की समीक्षा करते रहना उचित है। उदाहरण के लिए, योजना की समीक्षा विभिन्न निवेश विकल्पों के प्रदर्शन के आधार पर की जानी चाहिए। एक समय के बाद जब शेयर बाजार अपनी चाल बदलता है, तो वह आपकी धन की वृद्धि में बाधा डाल सकता है।
इसलिए आपको अपने कुछ इक्विटी निवेश को भुनाने या अपनी जोखिम उठाने की क्षमता के आधार पर और इक्विटी खरीदने पर विचार किया जा सकता है। जैसे ही आप अपने लक्ष्य तक पहुंचती हैं (जैसे कि बच्चे का कॉलेज में दाखिला याशादी), तब आपको इक्विटी निवेश से बाहर निकलने और अपनी संचित पूंजी को सुरक्षित करने के लिये उन पैसों का निवेश डेट में करना अनिवार्य हो जाता है।

पांचवां चरण धन की निकासी
जिन आवश्यकताओं या लक्ष्यों को पूरा करने के लिये आप बचत कर रही हैं, यदि उनका समय नजदीक आ रहा है तो आपको अपने निवेश से पैसों की निकासी करने की जरूरत होती है। जीवन बीमा पॉलिसी के मामले में, आपको बीमा कंपनी के पास अपनी पॉलिसी दस्तावेज जमा कराने होते हैं और परिपक्वता आय को प्राप्त करने के लिये आगे की कार्यवाही करनी पड़ती है।
आपको अपने फाइनेंशियल एडवाइजर के साथ बैठने की भी जरूरत पड़ती है और आपके निवेश (यदि कोई है) से पैसों की निकासी करने से जुड़े कर संबंधी मामलों को समझना पड़ता है।

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